Monday, November 30, 2015

सत्ता बनाम नौकरशाही

यह परिपाटी-सी बन गई है कि सत्ता पक्ष प्राय: प्रशासनिक अधिकारियों को अपने इशारों पर चलाना चाहता है। अगर कोई अधिकारी उनके खिलाफ जाने की कोशिश करता है या फिर उनकी बात मानने से इनकार करता है, तो उसे परेशान किया जाता है। इसमें तबादला करके उन्हें किसी महत्त्वहीन जगह पर पदस्थापित कर देना आम सजा बन गई है। हरियाणा में फतेहाबाद की पुलिस सुपरिंटेंडेंट संगीता रानी कालिया के साथ भी यही हुआ। वे पंजाब से लगी हरियाणा की सीमा पर अवैध तरीके से शराब की बिक्री को लेकर राज्य के स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज से उलझ पड़ीं। विज ने साबित करने की कोशिश की कि पुलिस इस धंधे को बढ़ावा दे रही है। उनका इशारा खासकर संगीता कालिया की तरफ था। संगीता को बात नागवार गुजरी और उन्होंने भरी सभा में तल्खी से कह डाला कि अवैध शराब की बिक्री को पुलिस नहीं, बल्कि सरकार बढ़ावा दे रही है। इस पर मंत्री ने उन्हें बैठक से बाहर जाने को कहा, पर संगीता ने ऐसा करने से मना कर दिया। बस, अनिल विज ने प्रण कर लिया कि जब तक संगीता को फतेहाबाद से हटाया नहीं जाता, वे वहां कदम नहीं रखेंगे। फिर वही हुआ। सरकार ने संगीता का तबादला कर दिया। इस तरह एक मंत्री का मान तो रह गया, पर एक पुलिस अधिकारी के सम्मान को जो ठेस पहुंची, उसका क्या! इस मामले में केवल पुलिस अधिकारी को दंड का भागी बनाया जाना किसी के गले नहीं उतर रहा। प्रशासनिक कामकाज में सरकारों का हस्तक्षेप छिपी बात नहीं है। वे अपनी मर्जी से, जब चाहे अफसरों के तबादले करती रहती हैं। अगर कभी उन्हें लगता है कि कोई अफसर उनके मुताबिक काम नहीं कर रहा, तो उसे दंडस्वरूप किसी ऐसी जगह तैनात कर देती हैं, जहां उसे कोई महत्त्वपूर्ण फैसला करने का अधिकार नहीं होता। इसके चलते नौकरशाही में चापलूसी और सत्ता के करीब बने रहने, उसके इशारे पर काम करने की प्रवृत्ति घर करती गई है। इस प्रवृत्ति के मद्देनजर ही सर्वोच्च न्यायालय ने आदेश दिया था कि किसी भी पुलिस अधिकारी का तबादला दो साल से पहले नहीं किया जा सकता, मगर सरकारें इस आदेश की खुलेआम अवहेलना करती देखी जाती हैं। उत्तर प्रदेश और हरियाणा इस मामले में सबसे आगे हैं। सवाल है कि फतेहाबाद की बैठक में अगर पुलिस अधिकारी संगीता का व्यवहार नियम के विरुद्ध था, तो क्या स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज का व्यवहार लोकतांत्रिक ठहराया जा सकता है! क्या उन्हें किसी भी अधिकारी को अपमानित करने का अधिकार इसलिए मिल गया है कि वे मंत्री हैं और प्रशासनिक अधिकारी उनके मातहत काम करते हैं। सरकारों को कानून-यवस्था सुचारू बनाने का काम प्रशासनिक अधिकारियों के जरिए ही करना होता है, इसलिए उनसे अपेक्षा की जाती है कि अपनी सीमा में रह कर वे प्रशासन को अपनी जिम्मेदारी निभाने का अवसर दें। विज में अगर साहस होता तो वे अवैध शराब की बिक्री की असलियत छिपाने के बजाय उसे स्वीकार करते और पुलिस अधिकारी को निष्पक्ष तरीके से इस समस्या पर काबू पाने के लिए प्रोत्साहित करते। मगर उन्होंने सामंती व्यवहार किया और उनकी जिद का खमियाजा उस पुलिस अधिकारी को 

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